समाज में उत्पन्न अनुचित पक्षपात भी आजकल ऐसी स्थितियाँ खड़ी कर रहा है।
3.
इसका मतलब यह है कि आप एक ताला और अपने स्वयं के टेलीफोन सेवा के लिए एक मौलिक अनुचित पक्षपात बनाया है.
4.
चाँद इनमें से प्रत्येक के पास एक दिन के चक्र में दौरा करता है लेकिन इनमें से एक रोहिणी के साथ उसने अनुचित पक्षपात दिखाया।
5.
उपासना का उद्देश्य इस प्रकार ईश्वर से अनुचित पक्षपात कराना नहीं होना चाहिए, वरन् यह होना चाहिए कि वह हमें अपनी प्रसन्नता के प्रमाणस्वरूप सद्भावनाओं से ओत-प्रोत रहने सत्प्रवृत्तियों में संलग्न रहने की प्रेरणा, क्षमता एवं हिम्मत प्रदान करे ।।
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182. बस अगर किसी को वसीयत करने वाले से अनुचित पक्षपात या गुनाह (बुरे कार्यो के लिए वसीयत) का डर हो और वह उनके बीच सुलह करादे तो उस पर कोई गुनाह नहीं है (अर्थात वसीयत को बदलने के अपराध में उसे सज़ा नहीं मिलेगी) निःसंदेह अल्लाह क्षमा करने वाला व दयावान है।
7.
उपासना का उद्देश्य इस प्रकार ईश्वर से अनुचित पक्षपात कराना नहीं होना चाहिए, वरन, यह होना चाहिए कि वह हमें अपनी प्रसन्नता के प्रमाणस्वरूप सद्भावनाओं से ओत-प्रोत रहने, सत्प्रवृत्तियों में संलग्न रहने की प्रेरणा, क्षमता एवं हिम्मत प्रदान करें, भय एवं प्रलोभन के अवसर आने पर वे भी सत्पथ से विचलित न होने की दृढ़ता प्रदान करें यही ईश्वर की कृपा का सर्वश्रेष्ठ चिह्न है।
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यही वजह है कि हम किसी अनुचित पक्षपात के बिना, पूरे ज्ञान और विश्वास के साथ यह कहते हैं कि तमाम नबियों और धर्म-गुरुओं में से केवल एक मुहम्मद (सल्ल॰) ही वह हस्ती है, जिसकी तरफ़ मानवजाति हिदायत व रहनुमाई के लिए रुजूअ कर सकती है, क्योंकि आपकी पेश की हुई किताब अपने मूल शब्दों में सुरक्षित है और आपका जीवन-आचरण उन तमाम अनिवार्य विस्तृत विवेचनों के साथ, जो मार्गदर्शन के लिए ज़रूरी है, अति प्रामाणिक तथा विश्वसनीय माध्यमों से हम तक पहुँचा है।